Savarkar Par Thope Huye Chaar Abhiyog Contributor(s): Srivastava, Harindra (Author) |
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ISBN: 9352669657 ISBN-13: 9789352669653 Publisher: Prabhat Prakashan Pvt. Ltd. OUR PRICE: $34.19 Product Type: Hardcover Language: Hindi Published: January 2018 |
Additional Information |
BISAC Categories: - Biography & Autobiography | Social Activists |
Physical Information: 0.63" H x 5.5" W x 8.5" (0.93 lbs) 224 pages |
Descriptions, Reviews, Etc. |
Publisher Description: जिंदगी किस तरह बिताता हूँ? बैठिए, आपको बताता हूँ। ठंडे लोगों से मुझको नफरत है, आग पीता हूँ, आग खाता हूँ। चारों धामों से हूँ अभी वंचित, अंदमान पाँच बार हो आया। हाँ! मगर कोई जगह ऐसी दिखी, जहाँ गूँजा था मातरम् का स्वर, कोड़े बरसे थे नंगी पीठों पर, सिर कटे थे जहाँ पे वीरों के, गोलियाँ छातियों पे खाई थीं, बस वहीं! ठक्क् से रुक जाता हूँ, पूरा माथा वहाँ झुकाता हूँ, चार आँसू भी बहा आता हूँ, थोड़ी मिट्टी भी उठा लाता हूँ, उसको माथे पे भी सजाता हूँ, फिर कभी रात के सन्नाटे में, कलम को डालकर कलेजे में, जो भी लावा सा फूट पड़ता है, वो ही लिखता हूँ, वो ही गाता हूँ, आप तक बस वही पहुँचाता हूँ, आप बुलाते हैं चला आता हूँ, जिस दिन जीवन से निपट जाऊँगा, आग की बाँहों में सिमट जाऊँगा, आग हूँ, आग में मिल जाऊँगा, चाँद-तारों में न खोजना मुझे, मैं तो सूरज में नजर आऊँगा, तब तलक यों ही जिए जाता हूँ, आग पीता हूँ, आग खाता हूँ। -हरींद्र श्रीवास्तव |